लेखनी कहानी -07-Aug-2024
विषय-हरियाली तीज।
(पद्य)
कविता।
कवयित्री-प्रिया प्रिंसेस पवाँर
श्रावण मास की शुक्ल तृतीया को,
ये त्यौहार मनाया जाता है।
खुशियों के मंगल गीतों को,
गाया जाता;गुनगुनाया जाता है।
शिव-पार्वती के पुनः मिलन का,
ये त्यौहार है।
विवाह की शुभ कामना का,
शुभ उपहार है।
प्रकृति जाती है खिल,
प्रकृति हरी-हरी हो जाती है।
हरियाली से भर जाती,
हरियाली से भरी-भरी हो जाती है।
कहीं ये हरियाली तीज,
कहीं कजली तीज कहलाती है।
जब भी है आती ये तीज,
मन को अति भाती है।
सभी महिलाएँ ख़ुश होतीं,
सजती,संवरती हैं।
खिलती है प्रकृति,
सुगन्ध से भरती है।
बरसता है सावन,
गरम मौसम शीतल हो जाता है।
त्यौहार मनाती है प्रकृति,
हरियाली तीज त्योहार;मनभाता है।
प्रिया प्रिंसेस पवाँर
Priya princess panwar
स्वरचित,मौलिक
द्वारका मोड़,द्वारका,नई दिल्ली-78
Aliya khan
09-Aug-2024 11:44 AM
Bahut sundar
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